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दृष्टिकोण

इस संसार में हर आदमी का नजरिया और चीजों को देखने का दृष्टिकोण अलग-अलग होता है। कहते है, किसी को आधा ग्लास खाली दिखाता है, तो किसी को वही ग्लास आधा भरा दिखता हैं। यह अलग-अलग दृष्टिकोण नहीं तो क्या है। इन दोनों को समझना और व्यक्त करना भी एक दृष्टिकोण है। यह ब्लॉग में एक तस्वीर, जिसको मैं विभिन्न लोगों को दिखा के उनके विभिन्न विचारो को लिख रही हूँ।

1. एक शहरी युवा इस तस्वीर को देख कर सोचता है कि (30-35 उम्र):-

इस शहर के शोर शराबे से कहीं बहुत दूर एक दुनियां है, जहां एक मासूम सी हसी खिल खिला रही हैं। इस दुनियां की भाग दौड़ से परे, यह डूबता हुआ सूरज, यह पीपल के पेड़ की उलझी हुई टहनियां, यह खेत में लहराती बालियां, दूर कहीं एक छोटा सा जलता हुआ बल्ब और इन्हीं सब में एक नन्ही सी जान हमे स्थिरता की ओर लेजा रही है।

2. एक छोटे से गांव से शहर आया हुआ युवा इस तस्वीर को देख कर सोचता है कि(20-25 उम्र):-

यह तस्वीर हताशा भरी और साथ ही आशा जगाने वाली भी है। एक छोटी सी बचीं जिसके कुछ सपने है। जिन्हें वो पूरा करना चाहती है, जिससे वो जीना चाहती है। पर जहां वो जन्मी, जहां वो रह रही है, वो उसकी सपनों की दुनिया से कोसों दूर है। इस तस्वीर में एक छोटा सा बल्ब जोकि एक आशा की किरण जैसा है। यह पेड़ जैसी उलझी हुई उसकी जिंदगी जिसे सुलझाना है। खेतों में लहराती हुई ये फसल सांत्वना देते हुए कहती है, कि तु वक़्त का साथी है, तू उठेगा गिरेगा संभालेगा और उठ के अपने मुकाम तक पहुंचेगा। एक गाँव में सारे अभाव में पल रहा सपना भी सच होता है, जब हम उस सपने को पूरा करने में लगे रहते है।

3. एक शहर की युवती का इस तस्वीर पर नजरिया(20-25 उम्र):-

यह युवती इस छोटी बचीं को अपने दृष्टिकोण से देखते हुए कहती है। क्या होगा इसका जीवन, क्या इसे सही शिक्षा और सही राय मिल पाएगी। अगर वो अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर भी लेती है, तो क्या वो इस छोटे से गांव से निकल के आगे शिक्षा ग्रहण करेगी। ये सवाल उसकी निजी जिंदगी को समझने के बाद इस बचीं के लिए आए थे। उसने हमेशा अपने आप को भविष्य आमुख रखा। उसके इस सफर में उसे समय समय पर जानकारी और घर से सहायता मिलती रही। पर इस बचीं को किन दिक्कतों से गुजरना पड़ेगा या उसे पढ़ने का मतलब भी पता नहीं होगा। कौन उसे बताये और महत्व समझाये की शिक्षा ना केवल उसे स्वतंत्र बनाएगी ब्लकि उसे जीवन जीने का दृष्टिकोण देगी।

4. एक अधेड़ उम्र की महिला जोकि छोटे से शहर में पली बड़ी उनका इस तस्वीर पर विचार(45-50 उम्र):-

महिला इस तस्वीर को देख कर कहती है कि यह लड़की उदास है। जो उसका जीवन चल रहा है और उसकी आगे जो जिंदगी होगी उससे वो निराश है। उसकी कुछ अपेक्षा है जिंदगी से पर उन अपेक्षाओं के साथ जो जिम्मेदारियाँ उसके कंधों पर है, उसे वो नजरअंदाज नहीं कर सकती। उन अपेक्षाओं को छोर कर उन जिम्मेदारियाँ में ही कहीं उससे अपनी खुशियां ढूँढ़ना होगा। ये लहराता हुआ खेत जिसमें उसने अपने बाबा का दिनभर साथ दिया होगा, उसका बचपन कहीं इन्हीं फसलों में चहक रहा होगा। कुछ देर अपने जीवन की सुलझी हुई सी उलझी जिंदगी को इस डूबते हुए सूरज में देख रही है।

5. एक इंडस्ट्रियल एरिया में बड़ा हुआ बच्चा इस तस्वीर के बारे में क्या कहता है(15-20 उम्र) :-

यह बच्चे का दृष्टिकोण इस तस्वीर लेकर यह है कि बचीं वहाँ आराम से बैठकर सूरज को ढलते हुए देख रही है। पूरा दिन खेलने के बाद सुस्ता रही है और कहीं ना कहीं उसे ड़र लगा हुआ है,कि कहीं वो घर पहुचने के लिए देरी ना करदे। अगर वो देर से घर पहुंचेगी तो उसे डांट सुननी होगी।

जैसे कि मैंने शुरू के कुछ वाक्यों में कहां की हर किसी का दृष्टिकोण अलग होता है। मैंने बीस लोगों से बात करी उनमे से कुछ पांच लोगों के नजरिए को मैंने यहां दर्शाया है। यह ब्लॉग को लिखते हुए मुझे यह भी समझ आया कि हर एक व्यक्ती अपने निजी जीवन की जद्दोजहद, खुशियां और अनुभव को हर जगह ढूँढता है।यह तस्वीर बस एक माध्यम थी यह दर्शा ने के लिए की वो कौन है। इस ब्लॉग को में यह बोल के समाप्त करुँगी कि यह भी एक दृष्टिकोण है, जो मैने अपनी निजी जिंदगी के अनुभवों से लिखा है। उत्सुकता रहेगी आपका दृष्टिकोण जानने के लिए।

One reply on “दृष्टिकोण”

I must say, your writing is truly amazing. The way you have expressed different perspectives is captivating. I was so engrossed in reading about these different points of view that I lost track of my own. However, let me give it a try. I’m a 46-year-old male 🙂 currently living in Chennai. I believe that one’s point of view is not only influenced by age but also by other factors. For instance, here in this picture, I see a beautiful evening in a remote village that is untouched by pollution from industries and digital media. In such a place, people have no big dreams or expectations, which means they don’t have to worry about the future and lose peace. They simply live their lives in the lap of nature.

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