जब भी छत से बैठकर, देखता हुँ ढलती हुई शाम, अरब सागर मे डूब रहा होता है, सूरज लेकर अल्पविराम, निकल पड़ते हैं परिंदे, होते ही शाम, अँधेरे से पहले पहुँच, ठिकाने करे आराम । अपनी चहचहाहट से सुबह , देते सबको पैगाम, उठ कर साथियों करो, सूरज की सुनहरी किरणों को सलाम, फिर भी […]
