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चलो सीखें ऑनलाइन मार्किट

पहले सेशन के पहले प्रेजेंटेशन का पहला पेज

‘क्या मुझे आप ऑनलाइन मार्केटिंग सिखा दोगे?’ एक दिन दीपिका मैम ने मुझे लंच को घर जाते हुए रोक कर पूछा था. मैंने बोला ठीक है, मैं तो वेसे भी प्लान कर ही रही थी | एक काम करते है 3-4 लोग ही शायद इंटरेस्टेड होंगे तो हम साथ मैं बैठ कर सिख लेते हैं. उस हफ्ते बात वहीं ख़त्म हो गयी और मैं लेसन प्लान बनाने की सोचने लगी. मैंने पहले से सोच लिया की 2-3 लोगों से ज्यादा कोई क्यूँ ही सीखना चाहेगा, क्योंकि ऑनलाइन वाला बहुत लोग पसंद नहीं करते. फिर एक दिन मोहिनी का रिमाइंडर आया की आपने बोला था ऑनलाइन मार्केटिंग सीखेंगे, मैंने बोला हाँ 3 लोग है जो लगता है कर लेंगे और इंटरेस्ट भी होंगे तो हम कल से करते हैं.. मोहिनी बोली नहीं एक बार सब से पूछ लो क्या पता और लोग भी करें. मैं पूरी तरह मान चुकी थी की कोई नहीं करना चाहेगा और बस एक बार सबको बताना है इस लिए बैठकर बात कर लेते हैं. हम सब बैठे, कुछ और चीजो पर बात हुई फिर मैंने पूछा की हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट कैसे डालते है सिखने वाले हैं, कौन कौन सीखना चाहता हैं? 2 नाम 3 नाम और देखते ही देखते मैंने 8 नाम लिख दिए थे बढ़ता नंबर देख मुझे चिंता हुई और मैंने बोला… पर हमारे पास इतने लैपटॉप नहीं हैं और सब फोंस में करेंगे तो हम कैसे काम देखेंगे और करेंगे. तुरंत जवाब आ गया क्योंकि हमने अभी फाइनेंसियल लिटरेसी ट्रेनिंग में प्रोजेक्टर का बहुत इस्तेमाल किया है तो हम प्रोजेक्टर में देख सकते आप उसमें सिखाना हम फोंस में करेंगे. तो मौके पर मानदंड बनाया गया की आपके पास फ़ोन होना चाहिए, इन्टरनेट होना चाहिए और थोडा बहुत जानकारी पढ़ कर उसका जवाब देना या उसे गूगल सर्च करना आना चाहिए. और इस मानदंड के साथ हम 2 दिन बाद सेशन शुरू करेंगे जिसमें हम लगातार 4 से 5 दिन 1 घंटे के लिए ट्रेनिंग लेंगे और समय 10 से 11 रहेगा क्योंकि फिर बुनाई के लिए समय निकलना भी जरुरी है.

वापस आकर मुझे पता चला की मैं शायद बहुत सारे लोगों का बहुत सारे दिन तक बहुत सारा समय लेने वाली हूँ जोकि उनकी आजीविका से जुड़ा है तो अब बहुत सोच समझ कर और तैयारी के साथ मुझे जाना है और चीजों को बहुत आसान बनाना है (पहले जो लोग सीखेंगे सोचा था वो ऑनलाइन चीजों को काफी जानते थे और शुरूआती चीजों के साथ सारी प्रक्रिया स्वयं कर सकते थे). तो अगले 2 दिन मैंने प्रेजेंटेश बनाने और लेसन प्लान बनाने में लगाए.


सबसे पहले प्रेजेंटेशन बनाने का प्लान नहीं था पर कुछ बात करने के बाद पता चला की लोग इस मौके को क्लास की तरह देख रहें है और वेसे ही अनुभव की उम्मीद कर रहे हैं तो उसके लिए कक्षा की तैयारी हुई. प्रश्न तैयार हुए पीपीटी बनी और कॉलेज की तरह कुर्सियां मिलना सोने में सुहागा.

यह पिक्चर कॉलेज की कक्षा का अनुभव लेने को ली गयी है

पहले दिन का सेशन सिर्फ समझने के लिए था की ऑनलाइन मार्किट किस तरह से काम करती है उसमें क्या फायदे है क्या नुक्सान है और क्या वह चीजें होती हैं जिनका हमें ध्यान रखना होता है, और पहले से तैयारी करनी होती है. हमने ठीक 10 बजे सेशन शुरू किया और 11 बजे ख़तम.

सेशन में किसी को भी अलग से न्योता नहीं दिया गया जितने लोग आना चाहते है आ सकते हैं. 13 लोग ऑनलाइन मार्केटिंग सिखने के लिए आ गये और उनमें कुछ वो लोग थे जो मुझे लगा था ये चीजें बिलकुल नहीं सीखना चाहेंगे और कुछ वो लोग नहीं थे जिन्हें मुझे लगता था इसका शौक है. पहले दिन हमने जहाँ ऑनलाइन मार्किट को समझा उसके साथ ही एक होमवर्क भी साथ ले गये जिसमें हम सभी ने एक एक प्रोडक्ट लेना था उसकी फोटोज लेकर ऑनलाइन डालने के लिए उसके बाए में सभी चीजें जैसे उसका भार, लम्बाई, दाम और उसकी विशेषताएं जाननी थी ताकि हम उस प्रोडक्ट को ऑनलाइन डाल सकें.  

आज का सेशन समाप्त हुआ और मैंने फिर से एक चीज मान ली कि कल जरुर लोग कम हो जायेंगे.

अगले दिन हमने फिर सेशन शुरू किया 10:05 से, कुछ लोग लेट थे, और आश्चर्य की बात थी कि 13 लोग वापस आ गये और एक और साथी जुड़ गये. अब असली काम शुरू करने का दिन आ गया | आज से हमें एक साईट चुन कर उसमें अपने प्रोडक्ट्स डालना शुरू करना था | सबने अपनी अपनी पसंद की साईट बताई और उसके बाद मैंने उन्हें जल्दी ही ये बता दिया की हम इन साइट्स में अपना सामान नहीं डाक सकते क्योंकि हम सबके पास एक एक GST नहीं है | तो हमें कोई ऐसी साईट ढूँढनी होगी जो GST सर्टिफिकेट न मांगें और ऐसी एक ही साईट है ‘MEESHO’. पर उसके लिए भी हमने GST पोर्टल में एनरोलमेंट  करना होता है | हमारा दुसरा दिन GST एनरोलमेंट करने में गया जिसमें हमें 1 घंटे से ज्यादा का ही समय लग गया और उसके बाद भी सिर्फ 4 लोगों का ही रजिस्ट्रेशन हो पाया क्योंकि सबकी अलग अलग समस्या आ रही थी- पता नहीं भर पा रहा था, OTP नहीं आ रहा था, किसी का OTP लेते हुए पूरा काम बेक हो गया. सभी चीजों को देखते हुई हमने निर्णय लिया की सब लोग कैसे करना है यह जान गये हैं तो घर जाकर यह करेंगे और जो भी परेशानी हो बात करके कल तक GST नंबर जरुर ले लेंगें | शाम को मैंने भी अपना रजिस्ट्रेशन पूरा किया और नंबर मुझे मिल गया | फिर एक फ़ोन आया की पता डालने में परेशानी हो रही है और बहुत से लोगों को हो रही है | अब हम अगले दिन सेशन शुरू होने से पहले 9:30 में मिलकर यह समस्या सुलझा रहे थे और 9:50 तक सबके पास अपना GST था | 10:21 से हमने फिर सेशन शुरू किया और आज हमारे मीशो में अकाउंट बनाने का दिन था |

सेशन के दौरान

हमने अकाउंट बनाया और अपना प्रोडक्ट अपलोड किया सभी लोगों के प्रोडक्ट देखने लायक थे किसी ने अपना बनाया हुआ मफलर डाला, एक ने गुलाब का फूल डाला, एक ने सूट पीसेज, एक ने मोज़े, एक ने अपने रोज चाय पिने वाला कप और बहुत कुछ | सबसे खुबसूरत बात थी की सभी लोग बहुत तैयारी से आये थे दाम निर्धारित करके लम्बाई- चौडाई नापकर और डिस्क्रिप्शन समझ कर |

यह दिन GST रजिस्ट्रेशन के दिन से काफी आसान रहा क्योंकि सबको अपने चीजों के बारे में काफी चीजें पता थी और अंजना मैम और मंजू मैम तो पहले से ही आगे की प्रोसेस करके आ गये थे जहां तक उन्हें समझ आया | जो कुछ लोग वहीँ पर प्रोसेस कर रहे थे, उन्हें जो कुछ लोग कर चुके थे वह, अपने आस पास वालों की मदद में भी लगे हुए थे जिससे मुझे और उनके पड़ोसियों को बहुत मदद मिली |

प्रोडक्ट लगभग सभी के अपलोड हो गये थे और जिसका कुछ बचा था उन्होंने अगले दिन तक वह पूरा कर लिया था साथ ही मैंने भी घर जाकर अपना एक प्रोडक्ट अपलोड कर दिया | प्रोडक्ट अपलोड करने से ज्यादा जिस चीज की ख़ुशी मैंने लोगों के अन्दर देखी वह है खुद की दुकान का नाम रखना कुछ के बच्चों के नाम की दुकान थी कुछ की खुद की और हर दूकान के नाम के पीछे सभी ने बहुत मेहनत की थी, सोचा था | पर उससे बड़ी चिंता सबकी थी की अगर प्रोडक्ट का आर्डर आ गया तो हम क्या करेंगे?….

हालांकि अगले दिन हमें सच्चाई का सामना करना पडा जब हमने अपने अपलोड किये प्रोडक्ट ढूंढने की कोशिश की तो लाख कोशिशों के बाद भी हमारे हाथ कुछ नहीं आया हमने फोटो सर्च किया पूरा नाम सर्च किया पर कुछ नहीं…. यह सच्चाई मुझे पहले से पता थी क्योंकि पिछले 1.5 साल ऑनलाइन मार्केट में काम करते हुए मुझे इतना जरुर पता लग गया था की ऑनलाइन मार्केटिंग में हमें बहुत समय व प्रयास देने होते हैं तब जाकर कहीं आपके प्रोडक्ट दिखाई देते हैं | तो ढूढना जारी रखते हुई हमने उन साइट्स को खंगाला जहाँ चरखा के प्रोडक्ट्स पहले से थे और सेल भी हो रही थी | पहले गूगल सर्च से सभी चरखा (charkha Swayam Sahayta Samuh) की जानकारियों के बारे में जाना जो की ऑनलाइन उपलब्ध हैं | अब बारी थी आर्डर प्रोसेसिंग सिखने की क्योंकि अभी हमारे पास कोई नया आर्डर उपलब्ध नहीं था फिर भी हमने अपने अलग अलग साइट्स के डैशबोर्ड में जाकर देखा की कैसे आज तक हमने आर्डर प्रोसेस किये हैं और कैसे आगे कर सकते हैं | हमने साथ में यह भी चर्चा की कि कैसे हमें इन साइट्स पर अपने प्रोडक्ट्स डाले और अब आगे कौन से वह प्लेटफॉर्म्स हैं जिनसे हम भविष्य में जुड़ेंगे |

फिर आता है असली सवाल… हमने यह सब तो सिख लिया अब क्योंकि यह फ़ेलोशिप पूरी होने वाली है तो वह कौन लोग हैं जो आगे यह साइट्स संभालेंगें?

पहला जवाब सभी करेंगे सब ने सिखा है तो.. दुसरा सीधे तो उतना नहीं होगा थोडा और प्रैक्टिस चाहिए होगी…तीसरा…चौथा….(फिर जवाब थोड़ी मदद के साथ कर लेंगे की तरफ मुड गये)


और इन्हीं सब बातों के साथ हमारा 4 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम समाप्त हो गया | हालाँकि काम अभी समाप्त नहीं हुआ है | अगले दिन भी हम प्रोडक्ट ढूँढने की जद्दो-जहद में लगे रहे और अंत में youtube का सहारा लेना पड़ा जिससे अंत में ऐसी ट्रिक पता चल गयी जिससे हमें अपने प्रोडक्ट्स मिल गए | जैसे ही पहला प्रोडक्ट मिला हमारे ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, फिर यह ट्रिक सबके साथ शेयर की गयी और धीरे धीरे प्रोडक्ट्स मिलते गये | शशि मैम ने बोला मेरा प्रोडक्ट नहीं मिल रहा फिर देखा तो अभी उनका प्रोडक्ट पेंडिंग ही चल रहा था तो वह फिर काम में लग गये | अगले दिन फिर उनका कॉल आया की उनका प्रोडक्ट अभी तक उन्हें नहीं मिला पर फिर उन्होंने राधा मैम की मदद से यह काम कर दिखाया |

शशि मैम और अंजना मैम का मीशो अकाउंट

4 दिन के अंदर हमें फ़ोन के बहुत अलग अलग इस्तेमाल सीखे लेटर्स को कैपिटल केसे रखना है, मैप में अपने गाँव की लोकेशन कैसे डालनी है, गूगल सर्च से अलग अलग एप(साइट्स) खुल सकते हैं, youtube में बहुत जवाब मिल जाते हैं और शायद हर किसी ने कुछ अलग| पर जो सबसे ज्यादा जरुरी था वह था ऑनलाइन का डर अंदर से दूर करना | वह डर की गूगल में कुछ सर्च करने से कहीं पैसे कट जायेंगे.. ऑनलाइन मार्किट में हम नहीं बेच सकते, यह किसी एक्सपर्ट का काम है…और एक अलग दुनिया से जुड़ा हुआ महसूस करना जोकि हमें काफी दूर लगती है क्युकी हमें वह समझ नहीं आ रही या हमारे डर का कारण है | इस सिखने-सिखाने के पुरे हफ्ते सबने बहुत ज्यादा मेहनत की, घरों से पासबुक की फोटोज मगाई, पैन कार्ड ढूंढ निकाले और फोन में जितना काम कभी नहीं किया था उतना कर दिया | कभी जब एक ही जगह पर अटक जाएँ तो वह परेशानी सबके चहरे पर दिख रही थी और आगे बढने की ख़ुशी खिल रही थी | यह डिजिटल संघर्ष हम लगभग जीत ही गये |

चरखा के उद्योगी अभी ऑनलाइन बाजार की खोज में निकल चुके हैं, और बहुत से कौशल हैं जिनको वे ढूंढ रहे है और सिख रहे हैं, हर दिन सफल उद्योगी बनने के सफ़र में.  

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