
कभी मैं भी कलम उठा लेता हूं,
लिखकर मन बहला लेता हूं,
शौक से नहीं प्रेरणा से लिखता हूं,
अपने शब्दों में उम्मीद के रंग भरता हूं,
कला नहीं मुझ में कोई जो कभी कुछ लिख पाऊं,
मैं तो बस लिखकर प्रेरणा से अपना मन बहलाऊँ,
खेल तो बस ये है समझना सारा,
मैं तो मात्र माध्यम हूं लिखने का शब्दों की धारा,
हमेशा बस कोशिश मैं यह करता हूं,
जब मिलती है प्रेरणा हाथ में कलम पकड़ लेता हूं,
कभी नहीं करता यह विचार क्या मैं लिख पाऊंगा,
हृदय से उठे विचारों को शब्दों का रूप दे पाऊंगा,
बस कलम उठाने की मै हिम्मत करता हूं,
लिखने की शक्ति प्रेरणा के स्रोत से लेता हूं,
कुछ इस तरह मैं कलम उठा लेता हूं
लिखकर मै अपना मन बहला लेता हूं–2
