” रात हमारी भी हैं, बस हमें अपनी सुरक्षा के साथआत्मविश्वास से कदम बधानेकी जरुरत है !
“Never go alone at night , यह वाक्य आपने सुना तो होंगा ना ? मैने भी बहुत बार सुना है. यह वाक्य हम सबने खासकर लड़कियों के संदर्भ मे कई बार सुना होंगा! माता – पिता, दोस्त, और परिवार के सदस्य लडकियों को रात के समय अकेले बाहर जाने से बचने की सलाह देते हैं । ” रात को अकेले मत जाना,” ” साथ में किसी को ले जाना,” यह बाते हर लड़कि को बचपन से ही सिखाई जाती है। लेकीन यह सवाल अक्सर उठता है कि सिर्फ लड़कियों को ही क्यों सलाह दी जाती है? समाज मे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक स्थायी चिंता रहती है। लड़कियों के प्रति होने वाली हिंसा , छेडछाड, ओर असुरक्षित माहोल को देखते हुये लड़कियों को अक्सर विशेष सतर्कता बरतने के लिये कहा जाता है । यह सोच इस बात से उत्पन्न होती है की समाज के सर्वाजनिक स्तल ओर खासतौर पर रात में, महिलाओं के लिये अधिक जोखिमपूर्ण माने जाते हे।

सिर्फ ladkiyon को ही क्यो?
रात का समय स्वाभाविक रूप से किसी एक जेंडर के लिये अधिक खतरनाक नही होना चाहिए, लेकीन लड़कियों के लिये यह जोखीम अधिक दिखाई देती है। इसका कारण यह है की, कई महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर रात में छेड़छानी , पीछा किया जाना, या यहा तक की शारीरिक हिंसा का शिकार होती है! यह सांस्कृतिक ओर सामाजिक ढांचा लड़कियों को खासतौर पर असुरक्षित बनता है, जबकी लडके भीं कभी-कभी ऐसे खतरों का सामना करते है, लेकीन उनके प्रती समाज का दृष्टिकोण भिन्न होता है।एक साधारण परिस्थिति की कल्पना करते है।एक लडकी रात के समय ऑफिस से घर जा रही हैं उसकी चाबियां उसकी उंगलियो के बीच है, फोन पर emergency नंबर डायल है लेकीन कॉल नहीं किया गया है वह सतर्क है, हर कदम पर सावधान है। और अपने पीचे बार बार देख रही है यह उसकी वास्तविकता है यह सिर्फ उसकी ही नहीं, बल्की कई लड़कियोंकी स्थिति है जो रात के अंधेरे में सार्वजनिक स्थलो पर असुरक्षित महसूस करती है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। समाधान क्या हो सकते है? लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल उनके कंधों पर नही होनी चाहिए। इसे एक समग्र दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए , जिसमे समाज, सरकार, और व्यक्ति सभी मिलकर काम करें। सरकारी आपातकालीन एप्स महिलाओ की सुरक्षा के लिए सरकार ने एक aap निकाला है 112 . उदाहरण के तौर पर, 112 इंडिया एप महिलाओ के लिए डिजाइन किया गया एक आपातकालीन रिस्पोंस टूल है। यह एप एक बटन के क्लिक पर नजदीकी पुलिस स्टेशन और परिवार के सदस्यों को तुरंत S O S संदेश भेजता है, जिससे मदत त्वरित रूप से उपलब्ध हो जाती है। महिलाओ का सशक्ति करण सुरक्षा केवल डर से बचने की बात नहीं है , बल्कि खुद को तैयार करने की भी है। आत्मरक्षा का प्रशिक्षण महिलाओं को ना केवल सुरक्षा देता है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भी बनाता है । कराटे मार्शल आर्ट या आत्मा रक्षा की अन्य तकनीके महिला को आत्म विश्वास बनाती है और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में खुद की रक्षा करने का साहस देती है। सामाजिक मानसिकता में बदलाव सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल महिलाओं की नहीं होनी चाहिए लड़कों और पुरुषों को भी यह सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें महिलाओं के प्रति सहानुभूति से पेश आना चाहिए लैंगिक हिंसा अक्सर शक्ति के संतुलन और आपसी सम्मान की कमी से उत्पन्न होती है जिसे शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से बदला जा सकता है स्कूलों और परिवारों को लड़कों को छोटे से ही सहमति ,सम्मान और समानता का महत्व सीखाना चाहिए। ” सुरक्षा कोई बाधा नहीं बल्कि एक अधिकार है अपने डर से नहीं अपनी हिम्मत से चले। ”
Note – 112 इंडिया ” शक्ति aap ” हिमालय राज्यों के लिए ” हिम्मत प्लस” दिल्ली पुलिस “Abhayam 181 aap ” गुजरात ” My safety pin “
