
भाषा की खूबसूरती उसमें शामिल शब्दों से आती है। कहते हैं किसी भाषा में अगर कोई शब्द मौजदू है इसका मतलब है कि वह चीज उस भाषा को इस्तेमाल करने वाले लोगों की जिदंगी में मौजदू है।
हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा डिस्ट्रिक्ट किन्नौर जितना अपनी सस्ंकृति से धनी है उतना ही अपनी भाषाओं से। हर गाँव में भाषा नए शब्दों को जोड़ती चले जाती है। किन्नौर में शादी के तरीके समय के साथ बदलते गए हैं शायद आपने ‘हरण विवाह’ या फिर ‘द्रोपती विवाह’ के बारे में सुना हो, पर यह सभी विवाह शब्द के साथ जुड़े रहे या कहेंगें की इनके हिंदी अनुवाद विवाह के साथ जुड़े रहे। हिंदी भाषा में अगर दो लोग ‘लव मरिज’ करें ‘अरेंज्ड मरिज’ करें या फिर भाग कर शादी कर लें इन्हें अतं मे शादी की संस्था के ही अदंर आना होता है।
इस तरह की अलग अलग शादियां हमारे समाज में हमेशा से हैं पर हमने कभी उन्हें स्वीकारा ही नहीं अंत में या तो मान कर उसे अपने तरीके से शादी करवा कर छोड़ दिया या कुछ लोगों को समाज से ही अलग कर दिया जिन्हें हम शादी के अपने तरीके में फिट नहीं कर पाए।
किन्नौर में रहते हुए एक दिन मुझे किसी ने बोला कि अगर मैं चाहूं तो उनके गाँव में होने वाले ‘दलोच’ में आ सकती हूँ। ‘दलोच’ के बारे में मैं जानती नहीं थी तो पूछ लिया कि यह क्या होता है तो उन्होंने बोला कि यह एक ‘छोटी शादी’
है। तो आजतक मैंने तो शादी सुना था या ज्यादा से ज्यादा कोट मरिज, तभी मुझे पता चला कि उनके गाँव की एक लड़की अपने प्रेमी के साथ ‘भाग’ गयी थी और अब उन दोनों के घर वालों के बात कर के उनकी छोटी शादी करवाई है जिसमें सिर्फ आपके गाँव के लोग शामिल होंगे और वह दोनों विवाहित माने जाएंगे।
शादी की इतनी अनोखी प्रथा मैंने पहली बार ही सुनी थी तो मुझे थोड़ी सी जिज्ञासा हुई कि ऐसी कोई और भी शादी है
जो वहां होती हो। तो किन्नौरी शब्दों का पिटारा खुलता रहा। उसके बाद मुझे शब्द पर शब्द मिलते ही गए जिनके अर्थ शब्दों से भी ज्यादा नए थे(मेरे लिए).

अगर कोई दो लोग एक दूसरे को पसदं करते हैं और घर वालों को बिना बताए ‘भाग’ जाते हैं और ‘दलोच’ भी नहीं करतेहैं तो उसे ‘दामतागसिस’ कहा जाता है। और अगर वह लोग चाहें तो अपने बच्चों के जन्म के बाद या कभी भी ‘दलोच’ कर सकते हैं क्योंकि जैसे उनके घर वालों ने सभी की शादियों में शगनु दिया है वैसे ही उनकी शादी में भी लोगों को शगनु देना होगा।
पर तब क्या हो जब एक शादीशदुा महिला किसी और से प्रेम करने लगे..? तब उनका कराया जाता है ‘सिचंगनु ‘. लोगों का मानना है कि जब शादी होती है तो लड़के व लड़की दोनों के ही परिवारों की जमा पूंजी उसमें खर्च होती है तो अगर लड़की किसी और के साथ रहना चाहती है तो उसे लड़के के परिवार को वह सारे खर्चे वापस करने चाहिए जो शादी में उसने किये थे, और जो अब वह किसी और से शादी करना चाहती है तो वह लड़का जिसके साथ महिला रहना चाहती है उसकी पुरानी शादी का खर्चा उठाएगा. इस तरह से दो लोगों के बीच की शादी खत्म होकर जो दो लोग एक दसूरे के एक साथ रहना चाहते हैं रह सकते हैं।
इन शब्दों का होना ही बताता हैलोगों के बीच इन अर्थों को स्वीकारना।
शायद ऐसे ही कितने छुपे शब्द हमारे आस पास की कितनी ही कहानियों को समेटे रहते हैं। ये शब्द इतिहास, सभ्यता और संस्कृति की कहानियां, लोगों को कहानियां अभी तक लिए हैं और ये शब्द ही हैं शायद जो कि कुछ कहानियां हमेशा याद दिलाएंगे। किन्नौर का शब्दकोश अभी किन्नौर की और भी कहानियां सुनाएगा.
