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यादें-जो आपको याद दिलाती है:

यादें वहां से बनाना प्रारंभ होती है जहां से आप कोई कार्यों को करना शुरू करते है और कुछ अरसे बाद वह यादें बनकर हमारे साथ एक उपलब्धि के साथ चलती है।कुछ ऐसे ही मेरे साथ हुआ।आज मैं जहां हूं उसके पीछे बहुतों का सहयोग है जो हमें यह अनुभव लिखने के लिए बार- बार मेरी अंतरात्मा धकेल रही है।शायद हमें लिखकर खुशी मिले।

आज मैं आप सभी के साथ एक छोटी सी यादों की अनुभवों को साझा कर रही हूं।

मुझे आई – सक्षम,JSW फाउंडेशन फ़ेलोशिप  दोनों  ने वह स्थान दिया जहां मैं कई सारी चीज़ों को सीखी, हो जो हमारे निजी और पेशेवर जीवन में काम का रहा है।खास करके उस सीखी हुई बातों पे गौर फरमाऊं तो वह है

•ज्ञान और कौशल

यह कई बार करके सीखते है तो कई बार अपनी किताबों की दुनिया से। मैंने इसे एक मौके की तरह हमेशा स्वीकार किया।कई बार आपसी बहस भी हमारे दिए गए कार्यों को स्वीकार करने से होती थी।पर यह हमारे पसंद और स्वीकार से होते थे इसलिए मैं हर कार्यों को लेती थी।

कहते है न- “सीखा हुआ कभी जाया नहीं होता”

मुझे पिछले संस्था में  (आई- सक्षम) में कई बार संचार व्यवस्था(कम्युनिकेशन) का माध्यम बनने को मिला।जहां मैंने कई सारे गतिविधियों को कार्य के माध्यम से किया।आज उसी गतिविधि की एक याद हमारे सामने आई। जो मैं आज JSW फाउंडेशन  फेलोशिप के यात्रा में कर रही थी और वो यादें याद आई। मैंने कई बार आई -सक्षम में खुद को और संस्था के कार्यों को वर्णन करने के अवसर मिले। उस अवसर का इस्तेमाल जहां मैं हमेशा से करते आ रही हूं।आज उसी में से एक अवसर मुझे मिले सबके सामने एंकरिंग करने का जहां मुझे अपने फेलोशिप से हट के मुझे JSW foundation के सीएसआर गतिवधियों में आमंत्रित किया गया। जब मुझे यह अवसर हमारे लोकेशन सीएसआर हेड (प्रशांत कालसेट्टी) के माध्यम से मिला। मैं डर गई!पता नहीं कर पाऊंगी की नहीं?एक अच्छा तरीका है: नहीं बोल देती हूं सब खत्म हो जाएगा,कर लेते है एक अवसर मिल रहा है फिर पता नहीं फिर मिले या न,पहली बार के आमंत्रण को न नहीं कहना चाहिए,कर लेते है थोड़ा मेहनत करेंगे हो जाएगा बाकी ये चीजें पहले भी कर चुकी हूं हो जायेगा… सर को हां बोल देती हूं…मन में उठे बनते- बिगड़ते बातें चल रही थी। अंत में मैं हां भी बोला और लग गई कार्यों पर।

चूंकि जगह,लोग,वातावरण,भाषा अलग है डर तो थी पर हां करने के बाद मैं कार्यों पर लग गई।

२२ मई  २०२३ सोमवार से मैं इस कार्य को कर रही थी हर दिन ऑफिस जाना,आयोजन के उद्देश्यों को सर और उनके टीम से समझना,कार्यक्रम की तैयारी करना।अब वो दिन आ गए जब मुझे यह करना था। २६  मई २०२३ गुरुवार की रात दो बजे मैं स्क्रिप्ट को पढ़ रही थी। डर! डर! पता नहीं कैसा होगा?पहली सुबह किरण के साथ मेरी भी नींद खुली और फिर मैं वापस से सो गई…यह सोचकर की कार्यक्रम 10 बजे से है इतना भी जल्दी क्यों उठना? आंख तेजी से बंद की और फिर सोई कुछ समय बाद आलर्म की घंटी से मैं जागी। सुबह के दिनचर्या के साथ कार्यक्रम की तैयारी के लिए सही समय पर पहुंची।

कार्यक्रम का उद्देश्य और विवरण

सर्वेक्षण और निरक्षण के बाद, जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन ने मौजूदा आंगनवाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनवाड़ी में बदलने का निर्णय लिया।

 प्रमुख उद्देश्यों के साथ आंगनवाड़ियों को बदलने का विजन जो निम्नलिखित था:

1.बुनियादी ढांचे का उन्नयन

2. सेविकाओं का क्षमता निर्माण

3. सभी हितधारकों की भागीदारी

4. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा निःशुल्क प्रदान करना

कल्मेश्वर तालुका के 132 आंगनवाड़ियों में से, पहले चरण में 20 आंगनवाड़ियों का चयन स्थान, छात्रों की संख्या, बुनियादी ढांचे और सेविकाओं की क्षमता वर्धन के आधार पर किया गया था। वर्ष 2022-23 में सबसे प्रमुख उपलब्धि यह रही कि इन सभी 20 आंगनवाड़ी केंद्रों ने सभी आईएसओ दिशानिर्देशों को पूरा किया और आईएसओ प्रमाणित किया।

हमने मॉडल आंगनवाड़ी स्थापित के लिए 40 आंगनवाड़ी का चयन किया और उसमें से 30 आंगनवाड़ी को मॉडल आंगनवाड़ी आईएसओ के लिए नामांकित किया। सर्वेक्षण और निरक्षण के बाद, आंगनबाड़ियों को अंतिम रूप दिया गया और संबंधित प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित किया गया।

इस सफलता का जश्न मनाने के लिए जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन और आईसीडीएस विभाग कलमेश्वर ने संयुक्त रूप से 26 मई 2023 को जिंदल विद्या मंदिर के परिसर में 30 आंगनबाड़ियों का आईएसओ प्रमाण पत्र वितरण किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री. यशवंत सोलसे-वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कलमेश्वर थाना पुलिस, श्री राजेश जैन – प्लांट हेड JSW स्टील कोटेड प्रोडक्ट्स लिमिटेड कलमेश्वर,श्री मति चित्रा घडे- बाल विकास परियोजना अधिकारी,श्रीमती पुष्पा दखोले और श्रीमती इंदिरा राठौड़ आगनवाड़ी पर्यवेक्षक ने सेविकाओं को आईएसओ सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया और अपने प्रेरक शब्दों से उनको मार्ग दर्शन दिया।

         एक व्यक्तिगत रूप से बोलूं तू यह अवसर हमारे लिए बहुत ही गर्व की थी की मुझे यह अवसर मिला।हमे एक समूह के रूप में प्रतिनिधि करने का मौका मिला। हमें उस सभागार में बैठे सभी प्रतिनिधियों ने मुझे प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम के हर गतिविधि से मुझे सीखने को मिला कुछ गतिविधि ऐसे भी थे जहां मेरे मन में कुछ सावल छोड़ के डिब्बे में बंद हो गए है? जो हमारे साथ हमारे ज्ञान और अनुभव से सुलझता जायेगा ।

आज के इस कार्यक्रम मैं मुझे आई सक्षम और JSW फाउंडेशन फ़ेलोशिप से  मैं जो सीख कर आए उसका मैं यहां योगदान दे पा रही हूं। मैं व्यक्तिगत और पेशेवर कौशलों से भी मैं योगदान दे पा रही हूं।

धन्यवाद JSW फाउंडेशन कल्मेश्वर नागपुर टीम जिन्होंने  मुझे वह माहौल दिया जहां मैं अनुभव भी किया,उस एहसास के विषयों की भी समझ बनी और जहां एक स्थान बनी की मैं अपने इस प्रकार के अनुभवों को साझा कर पा रही हूं।

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