
कैसे करूं मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी,
घर के घर गीली होती जब – जब बरसे पानी।
बारिश में लगता है मौसम बड़ा सुहाना ,
बूंद -बूंद ताल मिलाता और बजाता गाना।
मैं सोचूँ,कैसे बनने है आज रात का खाना।।
कैसे करूं मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी।।
बादल गरजे उमड़ – धमड़ के ध्यान ले जाए वन को,
मैं सोचूं,कैसे गिरती दीवार बचानी है इस घर को।
इंद्र धनुष की रंगे बिखरी बरसा पानी जम के,
वनों से निकली मोरों की झुंड बरखा में नाची छम से।
मैं खोजूं वो छोटा कोना जहां खाट लगानी है आराम को।।
कैसे करूं मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी।।
हर कोई कर रहे हैं स्वागत तेरा…आ जाओ ओ बरखा रानी ।
मैं भी कर रही अब स्वागत तेरा भर अंखियों में पानी।
खूब वर्षो ओ बरखा रानी लेकर स्नेह भरी रुवानी ।
आ जाओ बरखा रानी अब आ जाओ बरखा रानी।।
आंचल
