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अनुभव

एक अविष्कार जिसका काम दूर रहने वालों को एक दूसरे से जोड़ना है, वो अचानक बज के मुझे पुकारने लगा। मैं अपने सफर की तैयारी कर रही थी, और उस कपड़े के ढेर से दुभाषी यंत्र ढूँढ़ कर जब मैने देखा तो मुझे पास के से कमरे से मेरी सहकर्मी ने मुझे याद किया था। जैसे मैंने फोन उठाते ही सुनायी दिया सुनो साक्षी हमें कितने बजे निकालना हैं। उस दिन हम अपनी फेलोशिप की दी गई जगह के लिए निकल रहे थे, एक लंबी सी ट्रेनिंग और कह सकते है कि छुट्टियों के बाद काम पर जा रहे थे। मैंने उसे जवाब देते हुए कहा हमें पहुचने में वक़्त ज्यादा लग सकता है, तो हमें जल्दी निकलना चाहिए उसकी हामी भरते हुए ये व्याख्याएं खत्म हुआ।

हम दोनों अपने दिए गए होटल के कमरों से अपने सामना के साथ भार आते हुए एक दूसरे को मुस्कराते हुए दरवाजा बंद करने लगे। अपना अपना सामना लेके लिफ्ट तक पहुचते हुए कोई बात नहीं करने पर बातें हमसे रूठ गई थी शायद। होटल से निकलते समय की औपचारिकता को पूरा करते हुए मानो हमारी चुप्पी ने हार मान कर हमें बोलने पर मजबूर किया। और फिर मैंने अपने सहकर्मि से बोला, हमें अपने लिए कुछ ऑर्डर कर लेना चाहिए क्यूंकि मुझे लगता हैं की हमें रास्ते में कुछ मिलेगा नहीं। हमारे निकलने का समय भी हो चला था तो उसने कहा कि मैं कार भी बुक कर देती हूँ। हमने अपना खाना लेके कार में बैठ कर अपनी गंतव्य की ओर चल दिये, और हमारी इतने दिन की थकावट हमें बात नहीं करने पर माना चुकी थी।

हम अपनी मंजिल का इंतजार करते हुए अखिरकार पहुंच गये। हमारी आंखे जैसे मान नहीं रही थी कि यह बस स्टैंड नहीं सिर्फ एक सड़क है जहां हमें बस का इंतजार करना है। मेरी बस छूटने के डर के कारण हम वहाँ एक घंटे पहले पहुँच गए, और मेरी सहकर्मी मुझे देख कर आँखों ही आँखों में कहा रही थी मैंने कह रही थी साक्षी हमें थोड़ी देर से निकालना चाहिए था। उसकी आँखों में देख कर में सिर्फ हस्ते हुए रोड की ओर देखने लगी। मैं अपनी आदत अनुसार उसे किस्से सुना ने लगी और वो हमेशा की तरह उन्हें ध्यान से सुनने लगी।

कब किस्सों और इस सड़क को बस स्टैंड कहने वाले लोगों को कोसते हुए एक घंटा होगया पता नही चला। फिर हमें बस वाले को फोन लगाने के बाद कुछ एसा पता चला जिसको सुनकर हम अपने आप पर हस पडे की अश्रु बहा दे समझ नहीं आया। एक रोड जहाँ मानो गाड़ियां इंसानो से पहले आकर हम पर राज्य कर रही हो एसा लग रहा था, बस कुछ और लोग जो बस का इंतजार कर रहे थे वही अपनी चरण धरती को छूते हुए खड़े थे। उस रोड पर अब हमें दो घंटे और खड़े रहना था क्यूँकी बस कहीं फस गई थी, जिसके कारण वो सही समय पर नहीं आ पायी।हम दोनों के शक्ल पर पहले ही बारह बजे हुए थे। नींद और भूख शरीर की दो एसी जरूरत हैं जिसके बिना आपके सोचने समझने की क्षमता खत्म सी हो चुकी होती हैं। हम दोनों अभी इन्हीं दो पीड़ा से जुझ रहे थे, और इसके ऊपर ये खबर ने चार चाँद लगा दिए थे।

मैंने अपने सहकर्मी को कहा मैं अब और भूख सहन नहीं कर सकती मुझे तो खाना पड़ेगा नहीं तो मैं ज्यादा देर खड़ी नहीं रह पाऊँगी, उसने भी आना कानी करते हुए कहा में भी खा लेती हूँ। और हमने पहली बार एक चलती हुई रोड के किनारे खड़े होकर नूडल्स मजे से खाए।जिंदगी आपको नए अनुभव करवाते रहती हैं। उन अनुभवों में कभी आपकी परिक्षा होती हैं,तो कभी आपको कुछ सीखने को मिलता, कभी आप दुखी होते हो या, कभी हस्ते हो। यह अनुभव ही हैं जो आपको अपने आप से रुबरू करवाते हैं। आप को पता चलता है कि आप किन परिस्थितियों में कैसा बर्ताव रखते हैं।आखिर में सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि अनुभवों की अनुभूति से निकली अभिव्यक्ति आप हैं।

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