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ममता

यह कहानी है ममता की। एक मां-पिता और उसके बच्चे की। इस अनिश्चितता के दौर में जहां सभी अपनी आजीविका के लिए जूझ रहे हैं, वहां घर में एक बच्चे की विकलांगता की स्थिति एक माता पिता के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। एक मां अपने बच्चे को सभी परेशानियों से बचा के रखना चाहती है। एक माँ सोचती है और चाहती है कि उसका बच्चा सभी परेशानियों-तकलीफों से दूर रहे और जीवन की  सारी उचाइयों  को प्राप्त करे। वहां विकलांगता की स्थिति का  होना एक  चुनौतीपूर्ण सफर बन जाता है। यह कहानी है एक मां की उसके विकलांगता से प्रभावित बेटी  की। एक माँ सोचती है क्या उसकी  बेटी दूसरे बच्चों के  जैसे हो सकती है ! 

यह सोचना उस छुपे हुए डर को बताता है जो जीवन के आने वाले सफर में छुपे हुए हैं,जिससे एक माँ गुजर चुकी है । एक मां सोचती है हमारे नहीं होने के बाद उसकी बेटी का क्या  होगा । मां यह भी सोचती है कि उसकी बेटी   के साथ कोई गलत तो नहीं  कर देगा । क्या मेरी बच्ची  की शादी हो पाएगी कि नहीं हो पाएगी ! 

वहीं दूसरी और एक पिता अपने 4 साल के बेटे को लेकर चिंतित है। एक पिता कहता है ,दूसरे बच्चे से मेरा बेटा बस थोड़ा सा अलग है। यहां थोड़ा सा अलग उस दर्द को बयां कर रहा है, जो एक पिता ने अपने ज़िंदगी में अनुभव किया है । यह दर्द है कि मेरा बेटा मेरे जैसा हो पाएगा कि नहीं। मेरा बेटा पढ़-लिख तो  पाएगा न ! नौकरी नहीं हो पाई तो ज़िंदगी कैसे कटेगी! कोई मेंटल तो नहीं कहेगा। मेरा बेटा तो सब कुछ कर लेता है बस थोड़ा सा अलग है।

“दुख एक तरह से ममता  की अभिव्यक्ति है।”विकलांगता से प्रभावित बच्चों के माता-पिता के लिए दुःख एक पुराने दोस्त की तरह होता है। एक माता-पिता अपने बच्चों के लिए जो प्यार महसूस करते हैं, वह बहुत वास्तविक है। इसलिए जब उन्हें चोट पहुँचता है, तो एक माता-पिता को दुख होता है। जब एक माता-पिता अपने बच्चों को अपने हमउम्र से दोस्ती करने के लिए संघर्ष करते हुए देखते हैं , तो एक एक माता-पिता भी अपने बच्चे के साथ संघर्ष करते हैं। जब वे इस दुनिया से जुड़ने के लिए संघर्ष करते हैं, तो  एक माता-पिता भी  उस चुनौती को महसूस करते हैं। एक माता-पिता अपने बच्चों के दर्दनाक अनुभवों को इस तरह बदलना चाहते हैं,कि यह कई बार एक माता पिता के लिए असहनीय होता है,और यह ममता  है। अपने बच्चे के कुछ दर्दों को देखकर ,उनका  गहरा प्यार और ममता,दुख का कारण बन सकता है। लेकिन फिर वही दुख उन्हें  आगे बढ़ने लिए प्रेरित भी करता है। अपने जीवन में दु: ख को स्वीकार करना और फिर उसके लिए तैयार होना यही कहानी है ममता की ।

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By iamkeshavvvv

प्रकृति रक्षति रक्षिता

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