
आज का मौसम कुछ ऐसा है
उजले बादल का पर्दा हटाए
धूप किरण है खूब शर्माए
खुला फिर अचानक पर्दा
सुनहरी सूरत निखर के आई।
खेली उसने फिर छुपन छुपाई
जैसे हो वो अपनी हरियाली
अंबर ने भी प्रकट किया दिल
आंखों से आंसू छलक पड़े फिर।
आंख संभाली और मन बहलाया
सर ने इंद्रधनुष का ताज पहनाया
आज का मौसम कुछ ऐसा है
हां,आज का मौसम कुछ ऐसा है।
मन सनकी सा दूर खड़ा है
मैं कहां हूं वो कहां है
कुछ सोची थी भूल गई हूं
आज का मौसम कुछ ऐसा है
हां,आज का मौसम कुछ ऐसा है।
गर्मी है तपाती है, मानस को पिघलाती है
ठंडी हवा का झोका उसपर
शीत मर्म का लगाती है
ऐसा है यह मन का मौसम
ईमानदार है यह मन का मौसम
गठबंधन सा इसके साथ रहो तुम
मन में एक विस्तार मिलेगा
और थोड़ा सा प्रीत बढ़ेगा।
आँचल
